किस्से मेरी जिंदगी के
जिंदगी का बुरा दौर
मैं गांव से Belong करता हूं , हर लड़का ये ख्वाब देखता है , कि मैं लाइफ मैं सक्सेसफुल बनू और अपने घर की दिक्कतों को दूर करूं , आगे बढ़ने के लिए चाहिए पैसा ,
बुरे दौर से गुजर रही है जिंदगी जहां सब कुछ मेरा साथ छोड़ रहा है ,,,,,5 साल पुराना मेरा फोन ,और मेरी जिंदगी दोनों हैंग चल रहे हैं ,बचपन से अब तक हर क्लास में पढ़ने में अव्वल रहा ,पर क्या , 12वीं से यहां किसे जॉब मिलती है ,अब तो प्राइवेट जॉब भी दलाली से मिलती है ,सरकारी तो बहुत दूर की बात है ,मेरे साथ पढ़ने वाले जो मुझसे पढ़ने में बेकार थे आज वो भी मुझसे आगे निकल गए ,,,हर तरह से पैसे में और पढ़ाई में और जिंदगी में,
पर एक बात तो है ऐसी जिंदगी से अच्छा है कि अनपढ़ रह लो ,और daily दिहाड़ी मजदूर की तरह कमाओ , कम से कम ये तो न लगेगा इतना अच्छे थे पढ़ने में फिर भी ये काम कर रहे हैं,
मलाल है सपनों का ,जो आज के समय में पूरे न किए जा सकते ,घर की तकलीफें देख कर पढ़ाई छोड़नी पड़ती है सपने भूलने पढ़ते हैं ,।
जिंदगी बहुत बड़ा संघर्ष है , यहां जीना बहुत मुश्किल है , अगर तुम बेरोजगार हो तो तुम यहां सुकून से रह ही नहीं सकते , प्राइवेट करोगे तो तैयारी न कर पाओगे सरकारी की क्योंकि प्राइवेट में workload और प्रैशर ही इतना रहता है ।
गांव में अब तक जिंदगी सुकून की मानी जाती थी ,पर अब नया दौर है ,अब गांव में रहना आसान नहीं रहा ,या तो तुम्हारी जागीरें हो या फिर जॉब सरकारी हो , बेरोजगारों के लिए अब गांव नहीं रहे ,
पर फिर भी जैसे चल रही है जिंदगी ठीक है ,बस आश है कुछ अच्छा होने की ,देखो कब हो ।
आज के लिए इतना ही कल फिर शेयर करूंगा अपने विचार ।
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